चर्चा ऑन टपरा

प्रेम

विश्वविद्यालय में टपरे पर मुलाकात हुई थी उससे उसने अपना नाम उमेन्द्र बताया था ।  उसके साथ चाय पीते हुए बातचीत करते हुए पता लगा कि घर से दूर रहता है वो लेकिन अपने दोस्त के साथ रहने के लिए कुछ कम वेतन पर करता है काम । 
उसका दोस्त भी उसके साथ काम करता था ।  उसकी एक प्रेमिका भी है प्रेमिका का नाम रिहा बताया था उसने । बताते हुए उसने बताया अपनी प्रेमिका के लिए वह शराब नहीं पीता बीड़ी सिगरेट गुटखा तम्बाकू कुछ नहीं छूता ।


 वह मेरी ही उम्र का था मैं दर्शनशास्त्र का विद्यार्थी और वो मजदूर था पास ही एक बिल्डिंग में काम करता था । मैंने कल्पना नहीं की थी कि एक मजदूर का हो सकता है इतना सुंदर नाम एक मजदूर अपने दोस्त के लिए कर सकता है कम वेतन पर काम । 

मैंने नहीं सोचा था  एक मजदूर की प्रेमिका  भी हो सकती है जिसका नाम रिहा हो और एक मजदूर अपनी प्रेमिका के लिए शराब बीड़ी आदि छोड़ थे । मुझे लगा मैं इतना कल्पनाशील कहाँ जो ऐसे निःस्वार्थ प्रेम को समझ सके जो प्रेमिका और दोस्त दोनों के लिए समान हो । तब मैं समझा प्रेम के विविध आयाम है प्रेम परम ब्रह्म की प्राप्ति है ।

- नवीन कुमार जैन

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